एक चिड़िया पेड़ की शाखा पर बैठी,
गा रही थी !
वह गा रही थी अपनी मधुर धुन !
पर उसके आस पास के पक्षी गा रहे थे
अपनी कर्कश धुन,
और विषमय हो उठा सारा वातावरण!
उस चिड़िया ने सोचा वह अपनी मधुर धुन
छोड़ उस कर्कश सुर में सुर मिलाए,
या फिर चुप रहे, जानकर भी अनजान !
मेरा अंतस उस चिड़िया से बोला !
धीरज न खो, जारी रख तेरी धुन !
निश्चित ही शुरू करेंगे कुछ पक्षी तेरे साथ
मधुर गान !
और नहीं तो छुपे रह का सुनेंगे तेरी यह
मधुर धुन !
और तुझे अच्छा लगेगा,
सभी का प्रेम-प्रसंग में दीप्तिमान होगा!