मेहनत करने की क्षमता दिलाती है वहां सफलता
जयपुर. विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी में श्रमिकों, पेशेवरों और कर्मचारियों की कमी बनी हुई है। इसके लिए वहां भर्तियां भी चालू है लेकिन इसके लिए अच्छे स्तर की भाषा की शर्त लागू है। जर्मनी में काम करने के लिए जर्मन भाषा का अच्छा स्तर होना चाहिए। वहां काम करने वाले लोगों की काफी मांग बनी हुई है। हालत यह है वहां काम करने वाले लाखों लोगों की आवश्यकता है।
जर्मनी में रोजगार पाने वालों को अच्छा वेतन और सामाजिक सुरक्षा भी मिलती है लेकिन इसके लिए जर्मन भाषा का अच्छा स्तर यानि बी बी 2 लेवल और मेहनत करने की आदत अनिवार्य है। जर्मनी दुनिया के सर्वाधिक सफल प्रोफेशनल देशों में से एक है। वहां प्रोफेशनल तरीके से काम करने वाले लोगों की ही आवश्यकता है वहां मेहनत करने वाले प्रोफेशनल्स को ही पसंद किया जाता है। पहले बी 1 पर अधिकतर जॉब या आऊसबिल्डुंग मिल जाती थी लेकिन आजकल अधिकतर बी 2 पर ही मिल पाती है। इसलिए युवाआंे को जर्मन भाषा का बी 2 लेवल पाने का लक्ष्य रखने चाहिए। इसके बाद आऊसबिल्डुंग या जॉब पाने का प्रयास करना चाहिए।
जर्मनी में हेल्थकेयर, आईटी, इंजीनियरिंग, क्राफ्ट्समैन, ड्राइवर, ग्रीन जॉब्स, होटल, रेस्टोरेंट सहित कई सेक्टर्स में कर्मचारियों, श्रमिकों और प्रोफेशनल्स की बहुत मांग है। जर्मनी में जनसंख्या घट जाने के कारण वहां इनकी मांग पूरी नहीं हो पा रही है। जर्मनी के फेडरल फॉरेन ऑफिस की ऑफिशियन वेबसाइट के अनुसार वहां कई सारे क्षेत्रों में प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित युवाओं की आवश्यकता है। नर्सिंग से लेकर इंजीनियरिंग और होटल से लेकर लॉजिस्टिक क्षेत्र सहित बहुत सारे क्षेत्रों में काम करने वालों की कमी बनी हुई है और यह पूरी भी नहीं हो पा रही है। इसलिए जर्मनी अपने यहां विदेशियों की भी भर्ती कर रहा है। आऊसबिल्डुंग (वोकेशनल ट्रेनिंग) में तो तीन साल तक प्रशिक्षण और पढ़ाई के साथ पैसा भी मिलता है। आऊसबिल्डुंग में कक्षा 12 के बाद प्रवेश लिया जा सकता है लेकिन इसके लिए जर्मन भाषा का बी 2 लेवल होना चाहिए। इसमे पढ़ाई भी पूरी गंभीरता के साथ करनी होती है फेल होने पर आप दूसरों से पीछे हो जाते है। कुछ विषयों में अच्छी पढ़ाई करने पर आपकी आऊसबिल्डुंग समय से पहले भी पूरी हो सकती है जो करना अच्छा रहता है।
जर्मनी में आबादी लगातार बूढ़ी होती जा रही है। वहां पारिवारिक व्यवस्था नहीं होने के कारण अधिकतर बुजुर्ग विशेषकर 70 वर्ष से अधिक वाले ओल्डऐज होम में ही रहते है। वहां उनकी नियमित देखभाल और उपचार के लिए नर्सिंग स्टॉफ की भारी मांग बनी हुई है। इसी कमी को विदेशों से ही पूरा किया जा रहा है, वहां नर्सिंग स्टॉफ को पैकेज भी अच्छा मिलता है। जर्मनी की छोटी कंपनियों में स्किल्ड कर्मचारियों की काफी कमी हो गई है। इनमे इलेक्ट्रीशियन, प्लंबर, बढ़ई, मैकेनिक्स आदि शामिल है। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में अच्छे ट्रांसपोर्ट मैनेजर और ड्राईवर्स की काफी आवश्यकता है। इसी तरह होटल, रेस्टोरेंट सहित बहुत सारे क्षेत्रों में काम करने वाले मेहनती युवाओं की आवश्यकता बनी हुई है।
