रबर की खेती के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई हो रही है। हाल के एक रिसर्च से पता चला है कि पहले जितना सोचा गया था उसकी तुलना में तीन गुना अधिक पेड़ काटे गए हैं।
बुधवार को इस बारे में किए गए एक रिसर्च की रिपोर्ट सामने आई। सेटेलाइट डाटा और क्लाउड कंप्युटिंग का इस्तेमाल कर वैज्ञानिकों ने पहली बार दक्षिण पूर्वी एशिया में रबर के उत्पादन के लिए जंगलों की कटाई का आंकड़ा जुटाया है। दुनिया भर में पैदा होने वाली रबर का ज्यादातर हिस्सा इसी इलाके में उगाया जाता है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक 1993 से ले कर अब तक 40 लाख हेक्टेयर से ज्यादा इलाके में मौजूद जंगलों की कटाई हो चुकी है। रबर की खेती उस इलाके में की जा रही है जो जैवविविधता के लिहाज से बहुत अहम रहा है। रिसर्च रिपोर्ट के लेखकों ने चेतावनी दी है कि उनका आकलन वास्तविक स्थिति से थोड़ा कम भी हो सकती है क्योंकि सेटेलाइट से ली गई तस्वीरों पर बादलों की छाया पड़ने से गणना काफी जटिल हो गई थी।
और ज्यादा हो सकती है जंगल की कटाई :
नेचर जर्नल
में प्रकाशित रिपोर्ट
में कहा गया
है, "हमारी सीधी दूरस्थ
निगरानी ने दिखाया
है कि रबर
के लिए जंगलों
की कटाई नीतियां
तय करने के
लिए जिन आंकड़ों
का इस्तेमाल करती
हैं उसकी तुलना
में यह कम
से कम दो
या तीन गुना
ज्यादा है।"
जंगल बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने ऐतिहासिक कानून बनाया :
दुनिया भर में पैदा होने वाली रबर का करीब 90 फीसदी दक्षिण पूर्वी एशिया में उगाई जाती है और इसके लिए जंगल काटे जा रहे हैं। ज्यादातर रबर छोटे किसान उगाते हैं, उनके खेतों का आकार इतना छोटा है कि अकसर सेटेलाइट की रेंज में आता ही नहीं। इस रिसर्च के लिए नए और हाई रेजॉल्यूशन वाली सेटेलाइट तस्वीरों का इस्तेमाल किया गया और फिर पुरानी तस्वीरों से उनकी तुलना कर विश्लेषण किया गया।
विश्लेषण में पता चला है कि पूरी तरह से परिपक्व बाग दक्षिण पूर्वी एशिया में करीब 1.42 करोड़ हेक्टेयर इलाके में फैले हुए हैं। यह आंकड़ा 2021 का है और इसमें प्रमुख रूप से इंडोनेशिया, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक 1993 से 2016 के बीच रबर के लिए करीब 41 लाख हेक्टेयर जंगलों को साफ कर दिया गया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2021 तक इसमें से करीब 10 लाख हेक्टेयर में फैले इलाके को जैवविविधता के लिहाज से एक प्रमुख क्षेत्र घोषित किया गया था।
अंतरिक्ष से रखी गई नजर :
दक्षिणपूर्वी एशिया के द्वीपों की अलग जलवायु और मौसम चक्र के कारण रबर के पेड़ यहां अलग अलग समय पर पत्तियां गिराते और दोबारा उगाते हैं। ऐसे में उन्हें दूसरे पेड़ों से अलग करना मुश्किल हो जाता है। रिसर्चरों ने यह भी माना कि जंगलों की कटाई के बारे में उनकी गणना किसी भी पेड़ पौधे की जगह रबर के पेड़ लगाने पर आधारित है। ऐसे इलाके जहां एग्रोफोरेस्ट्री थी या फिर दूसरी फसलें उगाई जाती थीं वहां रबर के पौधो उगाने पर उसे जंगल की कटाई के तौर पर शामिल किया गया है।
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कुल मिला कर रिसर्चरों का कहना है कि उनका आंकड़ा इस पूरे मामले में जंगल की कटाई को थोड़ा कम करके दिखाता है और रबर की खेती के लिए जिन जमीनों का इस्तेमाल किया जा राह है वह उनके आकलन से कहीं ज्यादा है।
इसकी एक वजह तो यह है कि अंतरिक्ष से इन पर नजर रखी गई है। दूसरे 2021 तक जिन इलाकों में रबर की खेती हो रही थी सिर्फ उन्हीं का आंकड़ा दर्ज हुआ है। बहुत मुमकिन है कि पहले जहां जंगल थे वहां से उन्हें साफ कर के रबर की खेती की गई लेकिन बाद में रबर की खेती बंद हो गई हो। जिन जगहों पर रबर की खेती 2021 के पहले बंद हो गई उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है। इस रिसर्च में सिर्फ दक्षिण पूर्वी एशिया को शामिल किया गया है जबकि रबर की खेती अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका के कुछ इलाकों में भी होती है। दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाले रबर को मुट्ठी भर कंपनियां तैयार करती हैं। ऐसे में संभव है कि यूरोपीय संघ के देशों में जिस रबर का आयात किया जा रहा वह जंगल काट कर उगाया गया हो।