दुनिया के कुछ विकसित देश ऐसे हैं, जहां जनसंख्या वृद्धि दर बहुत कम है। जनसंख्या उम्मीदों के मुताबिक न बढ़ना और बुजुर्गों की तादाद ज्यादा हो जाना उन देशों के लिए बड़ा संकट बन जाता है। जहां जरूरी संसाधन या सुविधाएं तो अच्छी हैं, लेकिन कुशल कामगारों की भारी कमी है।
जर्मनी में जनसंख्या की वृद्धि दर काफी कम :
जर्मनी जनसंख्या में रूस के बाद वो यूरोप का दूसरा सबसे बड़ा देश है। वहां लगभग 8.2 करोड़ लोग रहते हैं, लेकिन बड़ी आबादी उम्रदराज है और कुशल कर्मचारियों की भारी कमी पड़ गई है। जर्मनी चाहता है कि उसके यहां कुशल कर्मचारियों की कमी पूरी हो, इसके लिए भारतीय युवाओं के पास मौका है। जर्मनी में जनसंख्या की वृद्धि उम्मीदों के मुताबिक न होने से जर्मन सरकार परेशान है। इस परेशानी को इस तरह समझ सकते हैं कि भारत की 28 वर्ष की औसत सीमा की तुलना में जर्मनी में 48 वर्ष की औसत आयु के साथ दुनिया की तीसरी सबसे पुरानी आबादी है।
चार में से एक से अधिक की उम्र 60 वर्ष और उससे अधिक है। कम से कम युवा लोग और वृद्ध लोगों की संख्या बढ़ रही है। आयु संरचना में इस बदलाव को जनसांख्यिकीय परिवर्तन कहा जाता है। यह लगातार कम जन्म दर और बढ़ती जीवन प्रत्याशा का परिणाम है। देश की बूढ़ी होती जनसंख्या और घटती जन्मदर के कारण यह समस्या और बढ़ेगी।
जर्मनी के महावाणिज्यदूत अचिम फैबिग के मुताबिक, उनका देश वर्तमान में 400,000 कुशल कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहा है। जर्मनी में जनसंख्या वृद्धि दर काफी कम है। यहां बुजुर्गों की आबादी अधिक हो गई है, और देश के विकास व प्रगति के लिए युवाओं जनसंख्या की भारी कमी हो गई है।
भारत की ओर इसलिए ताक रहा जर्मनी :
जर्मनी की निगाह भारत की ओर क्यों है, इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अरब प्रायद्वीपीय देशों में भारत के लाखों युवा नौकरी कर रहे हैं। जो उन देशों के विकास कार्यों में बड़ा योगदान दे रहे हैं। अकेले यूएई में ही 20 लाख से ज्यादा लोग भारतीय हैं। जर्मनी चाहता है कि जैसे बड़ी संख्या में भारतीय कामगार अरब-मुल्कों में काम करते हैं, कुछ उसी तरह हाई-स्किल्ड यूथ जर्मनी को भारत से मिलें। ताकि जर्मनी में हाई-स्किल्ड यूथ की कमी पूरी हो सके।
जर्मनी में करीब 35,000 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और बड़ी संख्या में तकनीकी विशेषज्ञ वहां आईटी पेशेवरों के रूप में भी काम कर रहे हैं।
देश की महत्वपूर्ण जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत की ओर ताक रहे हैं। फैबिग ने कहा कि उनके देश को वहां उपलब्ध नौकरियों के लिए नर्सों, बिजली मिस्त्रियों, सौर उपयोगिता तकनीशियनों जैसे कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता है। सूचना प्रौद्योगिकी, परिवहन, वित्त (फाइनेंस), खरीद और बिक्री, चाइल्डकैअर और शिक्षा, निर्माण और रखरखाव, कला, शिपिंग और विनिर्माण, खाद्य सेवाएं, खुदरा और ग्राहक सेवा, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक सेवाएं, होटल उद्योग आदि में भी रोजगार के व्यापक अवसर है।
यूरोप की सबसे बड़ी और दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के नाते, विशेष योग्यता और गुण रखने वाले विदेशियों के लिए जर्मनी में करियर के कई अवसर हैं। जर्मनी अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था और कुशल श्रमिकों की उच्च मांग के कारण भारतीय नौकरी चाहने वालों के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है। वास्तव में जर्मनी में नौकरी बाजार यूरोप में सबसे मजबूत में से एक माना जाता है। जहां विभिन्न उद्योगों में नौकरी के विभिन्न अवसर उपलब्ध हैं।
उम्रदराज आबादी बढ़ने के चलते कर्मचारियों की कमी,
भारतीय युवायों के लिए विदेश में जॉब का अच्छा मौका।