यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश जर्मनी तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है। लगभग हर क्षेत्र में कुशलकर्मियों के अभाव से लड़ रहा है। जर्मनी में नर्सों व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों और पेशेवरों की भारी कमी है। जर्मनी का नर्सिंग क्षेत्र बढ़ती आबादी के कारण कौशल की भारी कमी से जूझ रहा है। अगले 10 वर्षों में जर्मनी को 2 से 3 लाख नर्सों की कमी का सामना करने की उम्मीद है। हाल के वर्षों में जर्मन स्वास्थ्य अधिकारियों ने द्विपक्षीय समझौतों सहित विदेशों से हजारों नर्सों की भर्ती करके इस कमी को दूर करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
कई बार ऐसा हो चूका है और हाल ही में लोगों ने सोचा था कि अस्पतालों सहित कई जर्मन स्वास्थ्य देखभाल संस्थान अपना संचालन तब तक बंद कर सकते हैं। जब तक कि उनके पास पर्याप्त अस्पताल कर्मचारी, विशेष रूप से नर्स और डॉक्टर न हों। जर्मनी को बड़ी संख्या में नर्सों की आवश्यकता है। इसलिए जर्मन राज्य सरकारें जर्मनी में विदेशी-शिक्षित योग्य नर्सों को आकर्षित करने के लिए अनेक अच्छी पहलों का समर्थन कर रही हैं।
पिछले वर्षो में जर्मनी में हर महीने औसतन एक अस्पताल बंद हुआ था। कई बार प्रशासन को मजबूरन अस्पताल बंद करने के अलावा कोई और उपाय नहीं मिलता था। क्योंकि अस्पताल में काम करने वाले डॉ., नर्से और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी थी। लेकिन यह कदम स्थानीय लोगों को बुरी तरह प्रभावित कर रहा था।
कुशल आप्रवासन अधिनियम, 2020 विदेशी-शिक्षित नर्सों को बिना किसी परेशानी के जर्मनी में प्रवास की अनुमति देता है। विदेशी-शिक्षित नर्सों के वीज़ा आवेदनों पर विचार करते समय, गैर-ईयू देशों में जर्मन वाणिज्य दूतावास केवल उनके जर्मन कौशल और जर्मन पंजीकृत अस्पताल या किसी अन्य स्वास्थ्य देखभाल से नौकरी की पेशकश को देखते हैं।
जर्मनी में नर्सिंग पेशा एक बहुत ही सम्मानजनक और मांग वाला पेशा है। चिकित्सा उद्योग की लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए जर्मनी को तत्काल योग्य और कुशल नर्सों की आवश्यकता है। जैसा कि आंकड़े बताते हैं "आरडब्ल्यूआई - लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक रिसर्च" के अनुसार, वर्तमान में लगभग 1 लाख नर्सो की कमी हैं। जर्मनी की सरकार विदेशी प्रमाणित नर्सों को काम पर रखने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
इन देशों में नर्सों की कमी है :
ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कनाडा, चिली, चेक गणराज्य, डेनमार्क, एस्टोनिया फिनलैंड, ग्रीस, हंगरी, आइसलैंड, आयरलैंड, इजरायल, इटली, जापान, पुर्तगाल, स्लोवाक गणराज्य, स्लोवेनिया, स्पेन, स्वीडन, स्विस्टजरलैंड, तुर्की। इन देशाें में सबसे ज्यादा विदेशों से खासकर भारत से बुलवाई नर्सेज काम कर रही हैं।
कई देशों में नर्सों को उनके योगदान के लिए अच्छा भुगतान नहीं किया जाता है और नर्सिंग पेशे के लिए उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया जाता है। इसकी तुलना में कई विदेशी देशों में उन्हें दोनों मिलते हैं। उदाहरण के लिए एक स्नातक नर्स का वेतन कई अन्य व्यवसायों के बराबर या उससे बेहतर है। भारत में एक नर्स 5000-15,000 रुपये प्रति माह पर काम करना शुरू करती है और जर्मनी में एक स्नातक नर्स का वेतन लगभग 1,80,000 रुपये प्रति माह है।
जर्मन नियोक्ता हर उद्योग, क्षेत्र और व्यवसाय में न्यूनतम वेतन वेतन का पालन करते हैं, जिससे यह अधिक आकर्षक हो जाता है। जर्मनी में कर्मचारी वार्षिक भुगतान छुट्टियों और विभिन्न भत्तों सहित कई अन्य लाभों का आनंद लेते हैं।
केरल की 32 वर्षीय जीशा जॉय 2021 की गर्मियों में जर्मनी पहुंचीं। उन्होंने भारत में नर्सिंग का कोर्स किया था। भारत में ही 8 महीने का जर्मन भाषा का कोर्स भी पूरा किया और अब पूर्वी जर्मनी में थ्युरिंगिया राज्य के एक वृद्धावस्था आश्रम में वृद्धजनों की सेवा-परिचर्या करती हैं। नर्सिंग वाले कामों के लिए वेतन इस समय 2,100 से 3,700 यूरो तक है।
इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ नर्सेज का अनुमान है कि आने वाले वर्षाें में 1.30 कराेड़ नर्स और हेल्थ वर्कर्स की जरूरत हाेगी। ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल स्टाफिंग क्षेत्र सालाना 6.9% की दर से बढ़ रहा है। 2030 तक इस क्षेत्र में 5.17 लाख कराेड़ रुपए (63 बिलियन डाॅलर) खर्च हाेगा।