आपको पता भी नहीं चलेगा कि कब आप गुलामों के बाजार में बिकने के लिए पहुंच गए हैं। गुलामी के इस बाजार को सोशल मीडिया कहा जा रहा है। जैसे ही आप सोशल मीडिया में प्रवेश करते हैं, एक अज्ञात, अदृश्य दुश्मन खड़ा होता है। इसे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का नाम दिया गया है। जब आप इस माध्यम से किसी की जिंदगी में झांक रहे होते हैं, तब ये भी याद रखना कि आपकी अंतरंगता का एक्स-रे किया जा चुका है। इस बाजार के सौदागरों के लिए आपकी कोई भी सूचना गुप्त नहीं रही। क्या खरीदें, क्या देखें... आपकी इस अक्ल को ये सौदागर बावला बना देते हैं। थोड़ी-थोड़ी देर में अंगुलियां इसके बटन की ओर जाने लगती हैं। आपको लगता है, आप कोई विचार प्राप्त कर रहे हैं। पर उसी समय भीतर से खोखले भी हो रहे हैं। हमको लगता है, हमने शॉपिंग कर ली। पर उससे अधिक लुट गए। इसके हरेक फायदे के पीछे चार नुकसान खड़े हैं, जो दिखते नहीं । इसलिए सोशल मीडिया की दुनिया में उतरें, तो अपने अंतरंग संसार में भी उतरिए। पूजा-पाठ दिल से करिए, तो दिमाग वाले ये बाजार कम नुकसान पहुंचायेंगे।