खुशी से भर देता है शिक्षक बनना

खुशी से भर देता है शिक्षक बनना

खुशी से भर देता है शिक्षक बनना

शिक्षक मिलना हमेशा से सबसे आसान और सबसे मुश्किल कार्य रहा है। आसान मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि हर कोई शिक्षक है ही और कुछ सिखाने का काम शायद कर ही रहा है और बहुत से लोग बिलकुल ठीक सिखा देने का दावा भी करते हैं, हालांकि शिक्षक की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण है और एक शिक्षक, मेरा मतलब एक अच्छे शिक्षक की  मांग हमेशा रहती है। बदलते समय में जब एक मांगो, हजार उपलब्ध हों वहां भी लोग यह कहते पाए जाते हैं एक ढंग का शिक्षक बताओ और उनका मानना है कि ईश्वरीय कृपा से ही आपको कोई मिलता है। खैर जर्मन भाषा शिक्षक पर आता हूं हालांकि किसी भी विषय के शिक्षक के लिए सुझाव दे सकते हैं।

पिछले वर्षो में जैसे वैश्विक स्तर पर भूमंडलीकरण, औद्योगिकरण और बहुराष्ट्रीय कंपनियों का प्रभाव बढ़ा और उन्होंने अपने उत्पाद और सेवा को पूरी दूनिया में बेचने का ठाना तो यकायक विदेशी भाषा के जानकारों की मांग बढ़ गई और निश्चित इस क्षेत्र में तेजी से रोजगार बढ़ा है। उसके लिए सिखाने को शिक्षक चाहिए, लेकिन शायद आज के युग में युवाओं के पास विकल्प इतने हैं कि वे अध्यापक बनने की बजाय इससे जुड़े बाकी पेशों को तरजीह देते हैं। कुछ का मानना है कि ये व्यवसाय व्यक्तिगत, व्यावसायिक स्वतंत्रता और तेज ग्रोथ नहीं देता। हालांकि मैं ऐसा नहीं मानता। मैं पिछले बारह वर्ष से जर्मन भाषा शिक्षक हूं और विद्यार्थियों को जिस भी क्षेत्र में जाएं वहां ठीक से कार्य करने को प्रेरित करने की कोशिश करता हूं| इस दौरान मेरे एक दर्जन से ज्यादा विद्यार्थी जर्मन भाषा शिक्षक भी बने हैं। अब तो हमने ( लैंग्वेज स्टूडियो) प्रो.जे वी डी मूर्ति सर के साथ टीचर्स ट्रेनिंग शुरू कर हर वर्ष बकायदा (जर्मन भाषा के ट्रेनर तैयार करना शुरू कर दिया है)

क्या किसी को शिक्षक बनाया जा सकता है? वैसे तो व्यक्ति स्वप्रेरणा से शिक्षक होता है या नहीं होता, किंतु

निश्चित ही कुछ बातें सीखकर के अपनी निगरानी में साल 6 माह तक साथ काम करने कराने (सिखाने) से कुछ मूलभूत बातें जैसे कि विषय ज्ञान, प्रणाली एवम् मर्यादाएं सीखने में ध्यान दिलाने में मदद की जा सकती हैं। मुश्किल क्या हैं? मैं पिछले वर्ष से जर्मन स्कूल लैंगवेज स्टूडियो - जर्मन स्पीकर क्लब चला रहा हूं ,पहले 3 वर्ष तो मुझे मेरे अलावा किसी और अध्यापक की जरूरत ही नहीं पड़ी, लेकिन उसके बाद से लगातार में खोजता रहा हूं। इस खोज में लोग मिलते भी गए और आगे बढ़ते भी गए। शिक्षक (शिक्षक के गुण) ढूंढने में  मुझे मुश्किल क्या आती हैं? मैंने तय कर रखा हैं ट्रेनर उपलब्ध उच्चतम सी 1 लेवल पढ़ा हो। लेकिन बी 2 के आगे करने वाले बहुत कम मिलते हैं। मिलते हैं तो वे सी 1 अपने  विशिष्ट कारण से ही करते हैं। फिर मैं चाहता हूं जो आए वो स्वयं प्रेरित हो। शिक्षक भाव और उपयुक्तता रखे।

वह सक्रिय, रचनात्मक और छात्र छात्राओं की परवाह करने वाला हो। मर्यादा में रहे, मार्डन तो हो, लेकिन नशा ना करे (सिगरेट, बीड़ी, गुटखा और शराब आदि का सेवन ना करे। कक्षा में राजनीति और धर्म की ज्यादा बात हो, बात आने पर समझदारी से किसी को आहत किए बिना निपटने की कला आती हो। सूचनाएं, ज्ञान और विद्या के साथ उसकी नजर भी अच्छी हो, चूंकि छात्र-छात्राएं साथ पढ़ते हैं। शिक्षक जो हो व्यवसायी की तरह पहले ही दिन आकर मुझे बिना पूछे ही ये नहीं बताने लगे कि आप इतनी कम फीस क्यों लेते हो। दोगुनी कर देते हैं ऐसा इंतजाम करके अस्सी प्रतिशत आप को और बीस प्रतिशत मुझे ज्यादा मिलेगी। सर सोचकर बतानाहर एक के उनके सपने को अपना सपना समझें-केवल नौकरी करने ना आए। कक्षा के बाद भी विद्यार्थियों को व्यस्त रख सकें। उनमें पढ़ाई के प्रति अलग अलग तरीकों से रुचि जाग्रत करे चूंकि कक्षा तो सीमित समय में ही होती हैं लेकिन रुचि जाग जाए तो विद्यार्थी पूरे समय सीखता रहेगा।

उसकी शालीन उपस्थिति मात्र भी विद्यार्थी को खुशी और सकारात्मक भाव दे। व्यक्तित्व एवं कृतित्व शानदार हो। पढ़ते समय उसके उदाहरण में भी फूहड्पन ना हों, बल्कि संस्कृति, उत्साह और सकारात्मकता झलके, हंसी मजाक भी हो ताकि विद्यार्थी खुश भी रहे। हर दिन पूरी तैयारी से पढ़कर विद्यार्थियों को पढ़ाएं। तैयारी के साथ आए और सबको समझा पाए, प्रैक्टिस कराएं, कक्षा में है तो उस समय वहीं रहे। क्योंकि अगर कोई अपने संस्थान में आए हुए विद्यार्थी को सिर्फ अंतिम ग्राहक समझकर ढंग से पढ़ाएं नहीं और उनकी भाषा सीखने की मजबूरी का फायदा उठाने की कोशिश करे और असफल होने पर फिर कहे अब दो गुनी फीस और दो और तुमको इस बार बड़े ट्रेनर से पढ़वाकर अंतरराष्ट्रीय प्रमाणपत्र उपलब्ध करा देंगे। इससे बड़ा पाप हो ही नहीं सकता।

मैं एक ऐसे (भाषा) संस्थान की कल्पना करता हूं। जिसमें हम टीचर्स गुरूकुल भाव से शिक्षा दे सकें और कमसे कम ऊपर लिखे बिंदुओं का ख्याल रख सकें। शिक्षक और संस्थान दोनों को सोचना है। आपसी विश्वास की कमी हो तो भी आप शिक्षक और संस्थान बार बार बदलते हैं। निश्चित ही हम (संस्थान चलाने वाले) ट्रेनर्स को बढ़िया भुगतान करें। उनका भी परिवार है, सपने हैं वे भी निश्चिंत होकर एक ही संस्थान में स्थाई या लम्बे समय तक सुरक्षित सेवा देना चाहेंगे। आप जितना दे पाते हैं उससे ज्यादा पाते हैं। मैं युवाओं से खासकर छात्राओं से आहवाहन करता हूं कि शिक्षण भी एक अच्छा, सुरक्षित और आनंददायी कैरियर हो सकता है, इसके बारे में सोचें और आप स्वयं से पूछें और यदि आप अपने भीतर एक शिक्षक(शिक्षिका) पाते हैं तो आप लोगों की मदद कर खुशी से भर सकते हैं। शिक्षक होना बहुत बड़ा दायित्व होता है इस दायित्व को निभाने के लिए गंभीर और जिम्मेदार व्यक्तित्व से संपन्न होना चाहिए। बहुत से शिक्षक-शिक्षिकाएं जिन्होने अपने जीवन भर इस दायित्व को गंभीरता से निभाया वह आज भी हंसी खुशी का जीवन जी रहे है और समाज में प्रेरणा देकर ज्ञान का प्रकाश फैला रहे है।


                                                                                                                                                                                                                                   

देवकरण सैनी

                                                                                                                                                                                                                             जर्मन भाषा प्रशिक्षक