https://youtu.be/XUL2ubv0n7k?si=NjIdXsKysj71tGRqजर्मनी में रहने वाले नर्सिंग स्टूडेंट मोनू सिंह ने दी जानकारी
जयपुर। जर्मनी में 10 महीने तक रहकर छुट्टियों पर भारत आए मोनू सिंह से ई लैंग्वेज इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर देवकरण सैनी ने बातचीत की। इस बातचीत में उनसे ग्राउंड रियलिटी बताने का आग्रह किया तो मोनू ने बताया कि जर्मनी में रहकर जो अनुभव मिला है वह बहुत बढ़िया है। वहां डेली लाइफ की समस्याएं नहीं है और वर्क लाइफ बैलेंस है। काम से काम रखा जाता है। स्कूल में जाना होता है। कलीग्स के साथ या कहीं भी कोई ऐसा इश्यू नहीं है।
प्रश्न - जर्मनी में लोकल लोगों के साथ कैसे मिलना होता है।
उत्तर - वहां सभी तरह से छोटे बडे़ फेस्ट होते रहते है। इनमे सभी लोग शामिल होते है जब हम उन लोगों के बीच उठते बैठते है तो वो देखते है। इसके बाद हमसे बातचीत करना शुरू कर देते है कि आप कहां से हो जब हम इंडिया से बताते है तो वह आपसे महात्मा गांधी आदि पर चर्चा करना शुरू कर देते है। इससे एक दूसरे की कल्चर के बारे में जानने का मौका मिल जाता है। लोकल लोगों के साथ इंटेªक्शन करना भी चाहिए क्योंकि वहां उनका परिवार है उनके साथ मिलकर रहना चाहिए। वहां इवेंट होते रहते है इन इंवेट की वहां के न्यूजपेपर में सूचना आती रहती है इसके अलावा हर सिटी में फेसबुक ग्रुप बने हुए होते है। उन गु्रप से भी जुड़ सकते है। इंवेट के होर्डिंग लगे हुए होते है।
प्रश्न - वहां क्या पार्ट टाइम काम मिल जाता है।
उत्तर - पार्ट टाइम काम आसानी से मिल जाता है। आप महीने में 40 घंटे काम कर सकते है। छह महीने आपका प्रोबेशन पीरियड रहता है उसके बाद आप पार्ट टाइम काम कर सकते हो। यहां पार्ट टाइम काम के एक घंटे के 12 यूरो 7 सेंट मिलते है। मैं पिछले 4 महीने से यहां पार्ट टाइम काम कर रहा हूं। एक वीकेंड ऑफ होता है और एक वीक ऑफ होता है। इस हिसाब से हर माह लगभग 25 घंटे काम कर लेता हूं। इससे वहां रहने खाने के खर्च के अलावा बचत भी हो जाती है।
प्रश्न - जर्मनी जाने के लिए क्या तैयारी करनी चाहिए और क्या क्या जरूरी है।
उत्तर ... सबसे बड़ा रोल तो लैंग्वेज का होता है। अगर आप यहां से बी 2 करके जा रहे हो तो आप एनजॉय करोगे। इससे आप वहां अपनी बात रख सकते हो। किसी से भी अपनी बात कर सकते हो सुन सकते हो। घर आओगे तो आप यह नहीं सोचोगे कि उसमे मुझे क्या कहा था। सारा खेल लैंग्वेज का ही है।
प्रश्न - आऊसबिल्डुंग की जो फीस लगी वो आपको अखरी तो नहीं।
उत्तर - मुझे जर्मनी में जो पहली सैलरी मिली उससे बिल्कुल भी नहीं लगा कि इस प्रोसेस में इतने रूपए लगे। इसके अलावा 6 महीने बाद पार्ट टाइम की इनकम शुरू होने के बाद तो किसी तरह की कमी का अहसास ही नहीं होता है।