यूरोप में 65 साल से ज्यादा उम्र वाले लोगों की संख्या 15 साल से कम उम्र वालों से अगले साल आगे निकल जाएगी। विश्व स्वास्थ्य संगठन, डब्ल्यूएचओ ने नए सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों के लिए चेतावनी दी है।
बाकी दुनिया जिन चुनौतियों का सामना आज से 60 साल बाद करेगी, यूरोप के दरवाजे पर वो चुनौतियां आज दस्तक दे रही हैं। "आवर वर्ल्ड इन डेटा" के जुटाए आंकड़े बता रहे हैं कि स्थिति गंभीर है। यूरोप आज जिन मुश्किलों का सामना कर रहा है, वो बाकी दुनिया में 2064 तक आने की आशंका है।
बच्चों से ज्यादा बुजुर्ग
डब्ल्यूएचओ ने एक बयान जारी कर कहा है, "डब्ल्यूएचओ के यूरोपीय क्षेत्र में 2024 तक 65 साल से ऊपर की उम्र वाले लोगों की अनुमानित आबादी 15 साल से कम उम्र वाले लोगों की संख्या से आगे निकल जाएगी।" डब्ल्यूएचओ के यूरोपीय क्षेत्र में 53 देश हैं, जिनमें मध्य एशिया के भी कई देश शामिल हैं। डब्ल्यूएचओ का यह भी कहना है, "इस ट्रेंड का मतलब है नई सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियां, जो यह मांग करेंगी कि बूढ़ी होती आबादी के असर को कम करने के लिए समाज स्वस्थ तरीके से बूढ़ा हो।"
पूरे यूरोप में लंबी जीवन प्रत्याशा अकसर गिरते स्वास्थ्य के साथ आती है। बूढ़ी होती आबादी के असर को कम करने के लिए डब्ल्यूएचओ ने ऐसे कदम उठाने की मांग की है जो, "बूढ़े लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, स्वतंत्रता, समाजिक बेहतरी और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर कर सकें।"
डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों में ऐसी नीतियों की बात की गई है, जिनसे बूढ़े लोगों के खेलकूद और सांस्कृतिक गतिविधियों को बढ़ावा दी जा सके।
अरबपतियों की चमक में छुपे अमेरिकी बुजुर्गों के आंसू
सेहतमंद रहना जरूरी
यह भी कहा गया है कि बूढ़े लोग अपने स्वास्थ्य को संतुलित आहार के जरिए भी बेहतर बना सकते हैं। इसके अलावा हर हफ्ते कम-से-कम 150 मिनट की शारीरिक गतिविधियां और साथ ही ऐसे कामकाज जिनसे संतुलन, गतिशीलता बनी रहे।
इसके साथ ही मांसपेशियों के द्रव्यमान और हड्डियों के घनत्व को घटने से रोका जा सके। डब्ल्यूएचओ का कहना है, "इससे ऊंचे दर्जे की शारीरिक गतिविधियां सभी कारणों से होने वाली मृत्यु को लगभग 35 फीसदी तक घटा सकती हैं।"
दुनिया भर में बूढ़े लोगों की बढ़ती संख्या से चिंता बढ़ रही है। जापान पहले ही इसकी चपेट में आ चुका है। वहां 100 साल से ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या इस साल 92 हजार से ऊपर चली गई है। यहां बुजुर्गों की संख्याहर साल नए रिकॉर्ड बना रही है।
भारत अभी युवाओं का देश है, लेकिन करीब तीन दशक बाद यहां भी बुजुर्गों की संख्या बड़ी तेजी से बढ़ेगी। जिन देशों में बुजुर्गों की देखभाल का उचित तंत्र नहीं है, वहां यह समस्या और अधिक गंभीर रूप में सामने आएगी।