जर्मनी की निधि भारद्वाज ने बताया
फ्रेंकफर्ट. जर्मनी के बडे़ शहर फ्रेंकफर्ट में रहने वाली निधि भारद्वाज से ई लैंग्वेज स्टूडियो के डायरेक्टर देवकरण सैनी ने बातचीत की। इस बातचीत में निधि ने बताया कि उसका लैंग्वेज सीखना अब सरल हो गया है और वह आसानी से जर्मन सीख रही है।
इस बातचीत में निधि भारद्वाज ने बताया कि मैं 2022 से जर्मनी में रह रही हूं। मैंने हिप्नोसिस थैरेपी का कोर्स किया हुआ है। अभी मैं हाउस वाइफ के रूप में घर पर ही हूं क्योंकि यहां लैंग्वेज के बिना कोई काम नहीं चलता है। मैंने 2022 में एक इंस्टीट्यूट से जर्मन सीखना शुरू किया लेकिन मुझे समझ में नहीं आई। एक साल छोड़कर अब ई लैंग्वेज स्टूडियो से जर्मन सीखना शुरू किया। बीच में ई लैग्वेज इंस्टीट्यूट के वीडियो देखकर जर्मन सीखी। इससे मुझे काफी अंतर पता चला क्योंकि दूसरे इंस्टीट्यूट एक कोर्स की तरह सिखाते है उनको 2 महीने का टारगेट रहता है लेकिन ई लैंग्वेज के साथ ऐसा नहीं है। पहला कि हमे हमारी मातृभाषा हिंदी में सिखाया जाता है। दूसरा कि क्लास में बहुत सी चीजे सिखा दी जाती है। इससे कॉन्सेप्ट बहुत क्लियर हो जाते है। जबकि मैंने पहले जिसे इंस्टीट्यूट में पढ़ी वहां कॉन्सेप्ट क्लियर नहीं हुए। मुझे किसी वर्ड या टेबल का मतलब समझ नहीं आता था और वो लोग भी कोशिश नहीं करते थे।
मेरे कॉन्सेप्ट और डाउट क्लास में ही क्लियर हो जाते है। क्लास में कई बार टेस्ट लेने से लर्न हो जाता है और इससे जल्दी सीखने में मदद मिलती है। स्टूडेंट के लिए बहुत पॉजीटिव रहता है कि आप पढ़ते पढ़ते लर्न कर रहे हो। फार्मूले बनाकर लर्निंग करना आपने इजी कर लिया है। जर्मनी में रहने वाले अन्य युवाओं और प्रोफेशनल्स का यही कहना है कि आपका सिखाने का तरीका बहुत सरल है। उनको आसानी से समझ भी आ जाता है।
बाकी के शिक्षक भी पढ़ाते है लेकिन आप कॉन्सेप्ट क्ल्यिर करके पढ़ाते है। आप एक तरीके से ट्रेन करते हो, आपका मोटिव केवल पढ़ाना ही नहीं है बल्कि लोगों को उस लैंग्वेज का नॉलेज भी देना है ताकि वो अपनी डे टूडे लाइफ में इजी हैंडल कर सके। यहां हम कहीं भी बाहर जाते है तो ऑवरलॉल जर्मन ही रहता है तो लैंग्वेज यूज करके बहुत अच्छा लगता है। छोटी छोटी चीजे लाइफ को बहुत इजी बनाती है।