जर्मनी में नर्सिंग का मतलब पेशेंट की पर्सनल केयर भी
पेशेंट और ओल्ड पर्सन की करनी होती है पूरी देखभाल
जयपुर। जर्मनी के चिकित्सा तंत्र में नर्स की भारी डिमांड बनी हुई है। इस डिमांड को पूरा करने के लिए जर्मनी दुनिया के कई देशों से नर्सेज की कमी पूरी कर रहा है। एक अनुमान के अनुसार जर्मनी को वर्ष 2025 तक 1 लाख 50 हजार नर्सेज की आवश्यकता होगी। जर्मनी में नर्सेज का वेतन भी अंतरराष्ट्रीय मापदंडों के अनुसार है। वहां न्यूनतम वेतन की भी पालना करनी आवश्यक होती है। इसलिए वर्तमान में भारत से भी जर्मनी जाने वाले नर्सेज की संख्या बढ़ गई है।
लेकिन जर्मनी में नर्सिंग का मतलब केवल हॉस्पिटल में पेशेंट की चिकित्सा में सहयोग करना ही नहीं है। वहां नर्सेज की टास्क में पेशेंट के शरीर की साफ-सफाई करना भी शामिल है। हॉस्पिटल और ओल्ड ऐज होम में भर्ती होने वाले मरीजों और बुजुर्गों की पूरी गंभीरता से केयर करनी होती है। यानि की इसमे मरीजों की पर्सनल केयर भी शामिल है।
मरीजों और बुजुर्गों की पर्सनल केयर को कुछ लोग तथाकथित रूप से गंदा काम भी मान सकते है लेकिन जर्मनी में नर्सेज को यह कार्य करना ही होता है। यह उनके टास्क में अनिवार्य रूप से शामिल है। कोई भी विशेषकर ऑस्बिल्डुंग में शामिल नर्सिंग स्टूडेंट और डायरेक्ट नर्सिंग से गए नर्सेज इसके लिए मना नहीं कर सकते है। इसमे डायपर बदलना, दांतों की सफाई और भी दूसरे कार्य करने भी जरूरी है। मरीजों की हाइजिन का पूरा ध्यान रखना और इससे जुडे़ भी काम करने होते है। जर्मनी में मरीजों की स्पेशल केयर किया जाना नर्सिंग पेशे का हिस्सा है। इसलिए जर्मनी जाने वाले नर्सिंग स्टूडेंट्स को इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि वहां नर्सिंग का मतलब केवल हॉस्पिटल में मरीजों के इलाज में सहयोगी ही नहीं बल्कि उससे कहीं काफी बड़ी भूमिका निभानी होती है।
मरीजों के साथ नियमित संवाद करना और उनकी जरूरत को समझना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है। रोगियों के उपचार में सहयोग, निगरानी करना और मार्गदर्शन भी शामिल है। इसके साथ नर्सिंग उपायों का दस्तावेजीकरण और मूल्यांकन भी इससे जुड़ा हुआ है।