https://youtu.be/Dk04ZrNWYEY?si=WoDNJ5o77EBC-5Flकाफी सफल रही यूरोप के 5 देशों की यात्रा
स्टूटगार्ट. जर्मनी यात्रा के दौरान स्टूटगार्ट में आईटी प्रोफेशनल पवन थिंड ने ई लैंग्वेज स्टूडियों के डायरेक्टर और जर्मन स्पीकर्स क्लब के संयोजक देवकरण सैनी से बातचीत की। इस बातचीत में सैनी ने बताया कि छात्रों के लिए अधिक से अधिक अवसरों को बढ़ाना ही इस यात्रा का उद्देश्य है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी, लिस्सेटाइन और स्विटजरलैंड कुल 5 देशों की यात्रा हुई जो काफी सफल रही है।
आईटी प्रोफेशनल थिंड से बातचीत में जर्मन भाषा शिक्षक सैनी ने बताया कि यह यात्रा बहुत अच्छी रही है। स्टूडेंट्स, फ्रेंड्स और प्रोफेशनल्स के साथ काफी बातचीत हुई। अधिकतर स्टूडेंट वह है जो मुझसे पिछले 4-5 साल में ऑनलाइन पढ़े है। आऊसबिल्डुंग के छात्रों से मैं केमनिज में मिला, यहां सारे काम छात्रों को ही करने पड़ते है। उनको पढ़ने, घूमने, सीखने और जीवन जीना सीखने को मिल रहा है। इससे उनके व्यक्तित्व का भी विकास होता है। भाषा का स्तर देखना चाहे तो बी -1 एक न्यूनतम आवश्यकता है फिर भी मैं यही राय दूंगा कि आप बी-2 करके ही आएं। यहां स्टूडेंड ने भी मुझे यही कहा है कि बी-2 करके आना रहता है। इससे आपकी कम्यूनिकेशन स्किल भी इम्प्रूव होती है। इससे आपको क्लास में, पार्ट टाइम जॉब, मार्केट आदि में काफी मदद मिलती है। आऊसबिल्डुंग में इस समय जर्मनी में नर्सिंग, मेकाट्रॉनिक्स, होटल, रेस्टोरेंट, मैकडोनाल्ड, बर्गर किंग, कुक आदि में यहां स्टूडेंट आए है।
जर्मनी सहित अन्य यूरोपीय देशों की यात्रा के बारे में सैनी ने बताया कि प्लानिंग करके यात्रा करना अच्छा रहता है। फ्लाइट भी पहले से बुक ले तो बचत हो जाती है। फ्लाइट का जितना खर्चा आता है उतना ही खर्चा जर्मनी और आसपास के देशों में घूमने का हो जाएगा अगर आप समय पर बुक नहीं करोगे। मैने तो इंडिया में रहते ही यूरो रेल का पास बुक कर लिया था उसका 600 यूरो और ड्यूशलैंड पास 49 यूरो का ले लिया था। यह काफी समझदारी वाला कदम रहा क्योंकि मैंने यहां देखा कि म्यूनिख से स्टूटगार्ट का एकतरफा टिकट ही 80 से 100 यूरो के बीच में है। यहां फास्ट ट्रेन भी यूज करनी होती है इससे मैं यहां फायदे में रहा। जर्मनी में 49 यूरो का टेªवल पास लेकर आप फास्ट ट्रेन के अलावा कोई भी बस, ट्रेन यूज कर सकते है। आप इसकी एप्लीकेशन के माध्यम से जहां भी जाना है बुक कर सकते है। यह बहुत ही अच्छा माध्यम है और मुझे इसका बहुत लाभ मिला।
इससे पहले मैं यहां 2014 और 2018-19 में आया था। इस बीच कोरोना के 2 साल भी निकल गए। इसलिए यहां आने का उद्देश्य आऊसबिल्डुंग और डायरेक्टर प्लेसमेंट के बारे में अधिक से अधिक अवसरों की जानकारी जुटाना था। भारत में मेरे इंस्टीट्यूट में 13 स्टेट के 125 स्टूडेंट्स ऐसे है जो जयपुर आकर ऑफलाइन क्लास ले रहे है। ऐसे और दूसरे स्टूडेंट भी जर्मनी आना चाहते है जो ऐसे स्टूडेंट की मदद करना भी एक उद्देश्य है। यह बहुत ही अच्छी यात्रा रही। यहां रहने वाले भारतीय जिस उत्साह से मिले वो बहुत उत्साहित करने वाला था।