जर्मनी की मजेदार बातें-पार्ट २
1. कुत्ते -बिल्लियों के स्कूल होते हैं -लोग आपस में पूछते हैं -कोनसा अच्छा है तुमने एडमिशन किसमे कराया है। (वहाँ उनको आदमियों की कुछ भाषा और उनके बीच सभ्यता से रहना सिखाया जाता है).
2. जब हमारे यहाँ (भारत में) सुबह के सात बजते हैं तब जर्मनी के रात के ढाई बज रहे होते हैं। (अभी ४.३० घंटे का समयान्तराल चल रहा है जो गर्मियों में ३.३० हो जाता है).
3. बिना अपॉइंटमेंट कोई मिलता नहीं -नाइ से कट्टिंग कराने के लिए भी अपॉइंटमेंट ! दोस्त से मिलने का मन कर रहा हो तो पहले अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है - उसके घर जाना चाहो तो बिना बताये जाने की 'असभ्यता' कोई कभी नहीं करेगा।
४ मुह पोंछने के लिए रुमाल कोई नहीं रखता -सब टेम्पो(कागज के छोटे -छोटे बण्डल) रखते हैं।
५. जहाँ ट्रैफिक लाइट का सिग्नल नहीं होता- पैदल जाने वाला पहले सड़क क्रॉस करता है(पैदल लोग अधिकार से बिंदास बिना दायें -बाएं देखे आगे पढ़ते है) गाड़ी वाला दूर से देख कर ही रुक जाता है। (ये नहीं कहता -'मुझे जाने दे पहले- मेरा पेट्रोल जल रहा है')
६ यहाँ के ज्यादातर हाई-वेज़ पर स्पीड लिमिट नहीं है.
७. ट्रैन के छोटे स्टेशनों पर कोई टिकट देने वाला होता ही नहीं -मशीन होती है -स्वयं ही लेनी पड़ती है।
(आम जनता इंग्लिश नहीं जानती -इसलिए सब जर्मन में लिखा होता है)
९. सड़क पर गाड़ी का हॉर्न कोई नहीं बजाता-कभी कभी शादी में जरुर कुछ दोस्त लोग एक साथ हॉर्न बजाकर ख़ुशी जाहिर करतें है।
१०. किसी की शादी हो तो बहुत खुश होतें हैं - वैसे ज्यादातर लोग खुद इसे 'पंगा' ही मानते हैं -और मानके चलते हैं -ज्यादा दिन बांध कर नहीं सकते).