Die Grünen stehen vor der Herausforderung, das Land umweltfreundlicher zu gestalten

Die Grünen stehen vor der Herausforderung, das Land umweltfreundlicher zu gestalten

Die Grünen stehen vor der Herausforderung, das Land umweltfreundlicher zu gestalten

दो साल पहले ग्रीन पार्टी जर्मनी की नई सेंटर-लेफ्ट सरकार में शामिल हुई थी। उस समय पार्टी में काफी उत्साह था, लेकिन इस बीच आम लोगों में सरकार के लिए समर्थन घट रहा है। आखिर इसकी वजह क्या है? किन फैसलों से जनता नाराज है?

 

43 साल पहले ग्रीन पार्टी की जहां स्थापना हुई थी, पार्टी वहीं फिर से लौटी है अपने राष्ट्रीय सम्मेलन के लिए, संवैधानिक न्यायालय के लिए मशहूर कार्ल्सरूहे शहर में। चार दिवसीय सम्मेलन का ऐतिहासिक मौका। यह इतिहास में अब तक के अपने सबसे बेहतर प्रदर्शन और नई संघीय सरकार में शामिल होने के दो साल बाद पार्टी नेताओं के लिए अपनी पीठ थपथपाने का मौका है। हालांकि, इस दौरान पार्टी यह भी मंथन करेगी कि उसकी लोकप्रियता क्यों कम हो गई है। पार्टी सदस्यों का उत्साह क्यों ठंडा पड़ता जा रहा है।

 

जर्मनी की मौजूदा सरकार में ग्रीन पार्टी से पांच कैबिनेट मंत्री हैं। इनमें वाइस चांसलर और आर्थिक मामलों के मंत्री रोबर्ट हाबेक और विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक की लोकप्रियता काफी अच्छी है। वहीं, पार्टी के दो सह अध्यक्ष रिकार्डा लांग और ओमिद नूरीपुर के फिर से बहुमत के साथ अध्यक्ष पद पर चुने जाने की उम्मीद है।

 

शायद सब कुछ ठीक होता, अगर मध्य-पूर्व और यूक्रेन में युद्ध न होता, आर्थिक और बजट संकट न होता और मौजूदा गठबंधन सरकार में शामिल पार्टियों के बीच कलह नहीं चल रही होती। लेकिन सरकार में शामिल सोशल डेमोक्रेट्स (एसडीपी), नवउदारवादी फ्री डेमोक्रेट्स (एफडीपी), और ग्रीन पार्टी के बीच हर मुद्दे पर आपस में खींचतान जारी है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या यह गठबंधन 2025 के अंत में होने वाले अगले चुनाव तक कायम रहेगा?

 

इसके बावजूद, नूरीपुर एक साहसी चेहरा दिखा रहे हैं। उन्होंने यह स्वीकार किया है कि सरकार सभी चीजों में सफल नहीं हो सकी। हालांकि, यह भी कहा कि जिन कई चीजों के लिए पार्टी ने दशकों तक संघर्ष किया, अब उन्हें पूरा करने में कामयाब रहे हैं। "उदाहरण के लिए, दशकों से इस बात पर चर्चा होती रही है कि क्या जर्मनी आप्रवासन का देश है? अब यहां आप्रवासन को लेकर कानून है। सभी तरह की चर्चाओं पर विराम लग गया है. हम जीत गए हैं।हालांकि, आप्रवासन देश में फिर से काफी ज्यादा विवादित मुद्दा बन गया है।

 

राजनीति में व्यावहारिकता और समझौता

वर्ष 2021 में जब ग्रीन पार्टी सरकार में शामिल हुई थी, तब उसे काफी उम्मीद थी कि वह जैव ईंधन पर आधारित आर्थिक मॉडल को अक्षय ऊर्जा पर आधारित मॉडल पर ले जाएगी। पार्टी सामाजिक एकता को बढ़ावा देना और आप्रवासी के अनुकूल नीतियों को भी आगे बढ़ाना चाहती थी। हालांकि, नई सरकार के कार्यभार संभालने के तुरंत बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया और ग्रीन पार्टी के नेताओं ने जल्द ही यूक्रेन को हथियारों की आपूर्ति करने की बात का समर्थन किया।

 

इस युद्ध की वजह से ऊर्जा की कीमतें आसमान छूने लगी, क्योंकि जर्मनी को रूसी गैस की आपूर्ति सीमित कर दी गई। ऐसे में हाबेक ने मानवाधिकार संबंधी चिंताओं को नजर अंदाज करते हुए कतर की सरकार को गैस की आपूर्ति बढ़ाने के लिए कहा। रूसी गैस पर जर्मनी की निर्भरता कम करने के लिए, ग्रीन पार्टी कोयला बिजलीघरों को फिर से शुरू करने और फ्रैंकिंग गैस आयात करने पर सहमत हुई। ये ऐसे कदम हैं जिन्हें अप्रत्याशित रूप से व्यावहारिक माना गया।

 

जर्मनी की बिल्डिंग हीटिंग सिस्टम को जलवायु-अनुकूल मानक के मुताबिक बदलने का जटिल कानून सरकार विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र बन गया। खर्च का कारण समझे जाने वाले इस कानून को लेकर काफी ज्यादा विरोध-प्रदर्शन हुए। रूढ़िवादी और धुर-दक्षिणपंथी विपक्ष ने कानून को लेकर तीखा विरोध जताया। वहीं, सबसे ज्यादा बिकने वाले बिल्ड अखबार ने इस कानून को हाबेक का हीटिंग हथौड़ा' कहा और उसे लोगों के घरों में जासूसी करने वाला बताया। देश में चली बहस में ग्रीन पार्टी के लोगों को सामान्य लोगों से कटा हुआ दिखाया गया जो अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहन और सहायता देने की जगह सिर्फ भाषण देते हैं।

 

जैसे इतना ही काफी नहीं हो इस साल गर्मियों में विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक यूरोपीय संघ में एक नए नियम पर सहमत हुईं जिसके तहत, शरणार्थियों को यूरोपीय संघ की बाहरी सीमाओं पर हिरासत जैसी स्थितियों में रखने की अनुमति मिली। जर्मनी में भी शरण से जुड़े नियमों को कड़ा कर दिया गया है। इससे भी ग्रीन पार्टी के सदस्यों और समर्थकों में नाराजगी बढ़ी।

 

पार्टी को लगे और भी झटके

इस बीच देश में हुए प्रांतीय चुनावों में धुर दक्षिणपंथी अल्टरनेटिव फॉर जर्मनी पार्टी (एएफडी) पार्टी ग्रीन पार्टी से ज्यादा सीटें मिलीं। हालांकि, ग्रीन पार्टी को मिलने वाला जन समर्थन करीब 14 फीसदी पर स्थिर है और यह दो साल पहले उनके चुनाव परिणाम के करीब है लेकिन गठबंधन के दोनों सहयोगियों की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई। इन सब के बीच चिंता की बात यह है कि ग्रीन पार्टी 20 फीसदी से अधिक की अपनी रिकार्ड रेटिंग से काफी दूर है जो उसे आखिरी बार 2022 की गर्मियों में मिली थी।

 

हाल ही में, आर्थिक मामलों के मंत्री रोबर्ट हाबेक के लिए चीजें ज्यादा कठिन हो गई हैं। जर्मन संवैधानिक न्यायालय ने मूल रूप से कोरोना वायरस महामारी सहायता के लिए तय 66 अरब डॉलर को जलवायुसंरक्षण के लिए खर्च करने पर रोक लगा दिया। न्यायालय ने कहा कि महामारी से लड़ने के लिए आवंटित इस रकम को जलवायु कोष में स्थानांतरित करने का कदम असंवैधानिक था।

 

इसे लेकर गठबंधन में शामिल पार्टियों की पहले से ही एक राय नहीं थी। एफडीपी ने महसूस किया कि हाबेक जिस टिकाऊ भविष्य के लिए निवेश की योजना बना रहे थे वह वास्तविकता से काफी दूर था। अदालत के फैसले के बाद हाबेक ने कहा, "जर्मन उद्योग के पास बदलाव के लिए जरूरी धन की काफी कमी है।सरकार इस्पात का उत्पादन करने वाली कंपनियों के साथ अनुबंध करने ही वाली थी, ताकि वे अपने कारखानों को अन्य देशों में न ले जाकर जर्मनी में ही जलवायु अनुकूल उत्पादन की दिशा में आगे बढ़ सकें।

 

हाबेक ने कहा, "मैं इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हूं। इसलिए, हमें कहीं और से पैसा ढूंढना होगा।हालांकि, एक बड़ा सवाल है कि कहीं' का मतलब किस फंड से है? क्या ग्रीन, एसडीपी और एफडीपी अन्य उपायों पर सहमत हो पाएंगे?

 

अपनी जड़ों की ओर वापसी

इस सप्ताह के अंत तक ग्रीन पार्टी का सम्मेलन ऐसी जगह हो रहा है जो इसके इतिहास से जुड़ा हुआ है। पार्टी की स्थापना 1980 में कार्ल्सरूहे में हुई थी। उस समय यह पार्टी पर्यावरण प्रेमियों, नारीवादियों और शांति कार्यकर्ताओं का समूह था। हालांकि, ओमिद नूरीपुर को यह उम्मीद नहीं है कि यह बैठक पुरानी यादों का जश्न मनाने में डूबी रहेगी।

 

खुद आप्रवासी पृष्ठभूमि के ओमिद नूरीपुर का कहना है कि पार्टी सम्मेलन में जर्मनी में समृद्धि बनाए रखने, जलवायु संरक्षण के प्रबंधन और न्याय कायम रखने पर विशेष चर्चा होगी। उन्होंने कहा, "हमारा लक्ष्य अभी भी अपना जनाधार बढ़ाना है।ग्रीन पार्टी का चार दिनों का यह सम्मेलन, पार्टी के इतिहास के सबसे लंबे सम्मेलनों में से एक है। इसमें शामिल होने के लिए पार्टी के 4,000 प्रतिनिधियों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इस मामले में भी यह पार्टी के सबसे बड़े सम्मेलनों में शामिल होगा।