कर्मचारियों के अभाव से जूझ रहा जर्मनी दुनियाभर से कुशल कर्मचारियों को अपने यहां बुला रहा है। इसके लिए देश के स्किल्ड इमिग्रेशन कानून में अहम बदलाव किए गए हैं। इसके तहत अब वहां रह रहे भारतीय अपने परिवार को भी साथ रख सकते हैं। लेकिन अब तक जर्मनी में ऐसा करना बहुत मुश्किल था। सबसे पहले यह साबित करना पड़ता था कि वे आप पर आश्रित हैं। इसके लिए लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद इंश्योरेंस पर बहुत ज्यादा खर्चा करना पड़ता था। यही कारन था की जर्मनी में रह रहे भारतीय अपने परिवार को वहां नहीं ले जा पाते थे। इसी वर्ष जून में कानूनों में किए गए बदलाव से यूरोपीयन यूनियन के अलावा दूसरे देशों से आने वाले कुशल कर्मचारियों को जर्मनी में काम करना आसान होगा। हालांकि हेल्थ और केयर इंश्योरेंस पर अभी कुछ कहा नहीं जा सकता है कि उन्हें ये कवरेज मिलेगा अथवा नहीं मिलेगा।
ओलाफ शॉल्त्स यात्रा के दौरान बेंगलुरू में एक कार्यक्रम में शामिल हुए। भारत की सिलीकॉन वैली के नाम से मशहूर बेंगलुरू में उन्होंने कहा, "हम वीजा प्रक्रिया को सरल करना चाहते हैं। कानूनी प्रक्रिया के साथ-साथ हम प्रशासनिक प्रक्रिया का भी आधुनिकीकरण करना चाहते है। जर्मनी में सॉफ्टवेयर विकास के लिए बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए हमें बहुत सारे कुशल कामगारों की जरूरत होगी है।
शॉल्त्स ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि वीजा प्रक्रिया के सरलीकरण में यह ध्यान रखा जाएगा कि कुशल कामगारों के साथ उनके परिवार भी जर्मनी आ सकें। उन्होंने कहा कि बिना जॉब ऑफर के भी कामगारों का जर्मनी आना संभव होगा।
जर्मनी चाहता है कि भारत से ज्यादा से ज्यादा संख्या में आईटी इंजीनियर और कुशल लोग उसके यहां काम करने के लिए आएं। इसलिए उसने वीजा नियमों में बदलाव करने की बात भी कही है। जर्मनी भारतीय आईटी इंजीनियरों के लिए अपने यहां आना आसान करने जा रहा है। सूचना प्रौद्योगिकी के जानकार कुशल कामगारों के लिए जर्मनी का वीजा पाना और आसान बनाया जाएगा और वे अपने परिवारों को भी ला सकेंगे। दोनों के लिए ही यह फायदे का निर्णय हो सकता है क्योंकि भारत में ऐसे कुशल कारीगर बड़ी संख्या में हैं जिन्हें उनकी योग्यता के अनुरूप काम नहीं मिल पा रहा।