ज़िंदगी में दो ही रास्ते होते हैं। उम्र का वह हिस्सा जब आपके पास भरपूर एनर्जी और ताक़त होती है उस वक़्त आप थोड़े अर्से के लिए कंफर्ट जोन से बाहर निकलकर कुछ मेहनत करते हैं। सही मौक़े पर आपकी मेहनत और टाइम इन्वेस्टमेंट आपकी ज़िन्दगी को क़दम ब'क़दम (Step by step) हमेशा के लिए कंफर्ट जोन में डाल देती है और फिर आप ज़िंदगी भर आसानियां इंजॉय करते हैं। दूसरा रास्ता यह है के आप कंफर्ट जोन में ही रहते हैं, मेहनत के बजाय आराम को तरजीह देते हैं मगर यह आराम वक़्ती होता है क्यूं के फिर ज़िंदगी और हालात आपको घसीटकर कंफर्ट जोन से बाहर निकाल लाते हैं और उस वक़्त मसला आपका ऐश-ओ-आराम का नहीं बल्के अपनी बक़ा( SurvivaI ) और दो रोटी होती है। बद'क़िसमती से अक्सर लोग यही रास्ता चुनते हैं। फ़ैसला आपका अपना है आज थोड़े से वक़्त के लिए आराम-ओ-आसानियां छोड़कर अपने एहल-ओ-अयाल(Family) और अपने लिए एक बेहतर ज़िंदगी का चुनाव कर लें, जो के मेहनत से ही मुमकिन है। या फिर आराम कीजिए वक़्त आपको ख़ुद बाहर निकाल लेगा मगर याद रखें के वक़्त जब ख़ुद इम्तिहान लेता है तो बहुत कड़ा इम्तिहान लेता है।