होती है भगवान कृष्ण की पूजा
नियमित रूप से निकाली जाती है धार्मिक यात्राएं
जयपुर। जर्मनी का एक गांव ऐसा भी है जहां भगवान कृष्ण की नियमित पूजा होती है और वहां के सभी निवासी वैदिक सनातन जीवन पद्धति का पालन करते है। यह जर्मनी का एक गांव है जहां सुबह और शाम आरती, पूजा पाठ और कीर्तन का आयोजन होता है और अधिकतर निवासी इसमे उत्साह से शामिल होते है। इसके साथ धार्मिक यात्राओं का भी आयोजन किया जाता है। जब भक्त हरे राम हरे कृष्ण बोलते हुए और नाचते हुए चलते है तो सुनकर ऐसा लगता है जैसे भारत के मथुरा या वृंदावन में हो।
जर्मनी में हंसु्रक क्षेत्र के घने जंगलों के बीच बसे इस गांव का नाम गोलोक धाम है। यहां पास में मनोरम हरियाली भी है और एक नदी भी बहती है। इस वन क्षेत्र में हिरण, लोमड़ियों सहित कई अन्य जंगली जानवरों का रहवास है। वन क्षेत्र और आसपास तितलियां और भंवरों को देखकर ऐसा लगता है जैसे कोई अनुपम प्राकृतिक वन क्षेत्र हो। इस क्षेत्र में गोलोक धाम की स्थापना 1996 में हुई थी। उसके बाद से यहां भक्तों की संख्या बढ़ती ही चली गई। अब यहां हजारों लोग प्राचीन सनातन जीवन पद्धति का पालन करते हुए रहते है और जीवन जीते है। इस क्षेत्र से आसपास के कई लोग भी प्रभावित है।
यहां रहकर लोग व्यक्तिगत रूप से भी योग प्राणायाम ध्यान आदि करते है तो सामूहिक रूप से भी साधना करते है। इस गांव में संस्कृत सिखाई जाती है संस्कृत मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। इसके साथ ही स्वस्थ रहने के लिए आयुर्वेद का ज्ञान दिया जाता है।
श्रीमद्भगवद्गीता का जर्मन भाषा में किया अनुवाद
गोलोक धाम संस्थापक सच्चिदानंद स्वामी ने बताया कि वर्ष 1966 में स्वामी शील प्रभुपाद ने अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत आंदोलन (इस्कॉन) की स्थापना की थी। इसी इस्कॉन के भक्तों को उन्होंने 1970 में 16 वर्ष की आयु में कृष्ण भक्तों को जब टीवी पर कीर्तन करते देखा तो वह मंत्रमुग्ध रह गए। उसके बाद इस्कॉन ज्वाइन किया और वैदिक सनातन धर्म का ज्ञान प्राप्त किया। इसी क्रम में श्रीमद्भगवद्गीता का जर्मन भाषा में अनुवाद भी किया। यह अनुवाद जर्मनी में इस्कॉन के लिए क्रांतिकारी साबित हुआ। इससे जर्मनी में इस्कॉन के सदस्य कई गुना बढे़ और कई शहरों में कृष्ण भक्ति की लहर सी चल पड़ी। उनकी पहल पर यहां 1996 में राधा मदनमोहन मंदिर की स्थापना की गई थी और उसी के बाद से यहां धार्मिक गतिविधियां बढ़ती चली गई। सच्चिदानंद स्वामी ने भारत के कई तीर्थस्थानों की यात्रा की है। इनमे प्रमुख रूप से बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, तिरूपति सहित कई तीर्थस्थान शामिल है।